Plastic Mulching Scheme Rajasthan 2024 : प्लास्टिक मल्चिंग लगाकर सब्जियां उगायें,पानी और पैसा दोनों बचायें, 75% सब्सिडी भी मिलेगी

Plastic Mulching Scheme Rajasthan 2024 : प्लास्टिक मल्चिंग लगाकर सब्जियां उगायें,पानी और पैसा दोनों बचायें, 75% सब्सिडी भी मिलेगी

Plastic Mulching Scheme 2024:- राजस्थान सरकार के कृषि विभाग के तहत प्लास्टिक मल्चिंग योजना ने किसानों को सब्सिडी प्रदान की। प्लास्टिक गीली घास का उपयोग करने से मिट्टी के संकुचन और संकुचन को रोकने में मदद मिलती है। यह सामग्री नमी और गर्मी को रोकती है और पौधों के पोषक तत्वों के नुकसान को सीमित करती है। बाजार में उपलब्ध सभी मल्चिंग सामग्रियों में प्लास्टिक मल्च सबसे अधिक प्रतिबंधात्मक है, इसलिए यह ड्रिप सिंचाई के लिए उपयुक्त है। इसके अतिरिक्त, प्लास्टिक की परत लोगों और पालतू जानवरों को क्षेत्र में चलने से रोकती है, जिससे मिट्टी की संरचना और मजबूत होती है।

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जब खेतों में पौधे लगाए जाते हैं या बुआई की जाती है, उसके ठीक बाद खेत को प्लास्टिक की पन्नियों से ढक दिया जाता है। इसे मल्चिंग कहा जाता है। इसका फायदा यह होता है कि मिट्टी सूखती नहीं है, मिट्टी की नमी बनी रहती है। साथ ही, पौधे खरपतवार से बचे रहते हैं। इसे इसे खेत में बोई गई कोई भी फल सब्जियां तथा अन्य फसल की पैदावार भी कई गुना बढ़ जाती है और साथ ही फसल को पकाने तक बहुत कम पानी की जरूरत पड़ती है इसलिए प्लास्टिक मल्चिंग योजना से पानी और पैसे दोनों की बचत होती है I

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Table of Contents

प्लास्टिक मल्चिंग (पलवार) क्या है?

प्लास्टिक मल्चिंग पौधों के चारों तरफ की भूमि को प्लास्टिक फिल्म से व्यवस्थित रुप से ढकने की क्रिया है। वर्तमान में प्रयोग में लाए जाने वाले प्लास्टिक फिल्म विभिन्न रंगों एवं मोटाई में उपलब्ध है। तुलनात्मक रूप से प्लास्टिक पलवार अन्य पलवारों से पूरी तरह से पानी के लिए अभेद्य है, इसलिए प्रत्यक्ष रूप से मिट्टी से नमी के वाष्पीकरण, पानी का कम उपयोग और मिट्टी कटाव को रोकती है।

इस प्रकार पलवार जल सरंक्षण में एक सकारात्मक भूमिका निभाती है तथा पैदावार बढ़ाने में मदद करती है। प्लास्टिक मल्चिंग में विभिन्न रंग जैसे काली, नीली व पारदर्शी पलवार प्रधानत: उपयोग में लायी जाती है इसके अतिरिक्त कभी-कभी दो रंगों की पलवार का भी जैसे सफेद/काली, सिल्वर/काली, लाल/काली या पीली/भूरी उपयोग में लायी जाती है।

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खेत में प्लास्टिक मल्चिंग करते समय सावधानियां

  • प्लास्टिक फिल्म हमेशा सुबह या शाम के समय लगानी चाहिए।
  • फिल्म में ज्याद तनाव नही रखना चाहिए।
  • फिल्म में जो भी सल हो उसे निकलने के बाद ही मिटटी चढ़ा वे।
  • फिल्म में छेद करते वक्त सावधानी से करे सिंचाई नली का ध्यान रख के।
  • छेद एक जैसे करे और फिल्म न फटे एस बात का ध्यान रखे।
  • मिटटी चढाने में दोनों साइड एक जेसी रखे
  • फिल्म की घड़ी हमेशा गोलाई में करे
  • फिल्म को फटने से बचाए ताकि उसका उपयोग दूसरी बार भी कर पाए और उपयोग होने के बाद उसे चाव में सुरक्षित रखे I

Important Points of Plastic Mulching Scheme

  • उद्यानिकी विभाग द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति जारी होने के बाद ही प्लास्टिक मल्चिंग का निर्माण किया जा सकता है।
  • निर्माण के बाद गठित समिति द्वारा सत्यापन किया जा सकता है।
  • अनुदान राशि का भुगतान सीधे किसान के बैंक खाते में स्थानांतरित किया जाएगा।
  • मल्च फिल्म को बिछाने के बाद उसमें ज्यादा तनाव नहीं होना चाहिये अन्यथा मौसम के तापमान में वृद्धि व कृषि क्रियाओं के समय इसके फटने की संभावना रहेगी।
    मल्च फिल्म को सर्वाधिक गर्मी के समय न बिछाएं।
    एक बार उपयोग होने के बाद सावधानी पूर्वक लपेटकर रखी गई फिल्म को दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है, अत: यह सुनिश्चित करें कि यह फटने न पाए।
    सब्जियों में प्लास्टिक पलवार से सामान्यत: 35 से 60 प्रतिशत तक उपज में वृद्धि पाई गई है। फलों में सबसे अच्छे परिणाम पपीते में पाये गये हैं जहां 60-65 प्रतिशत तक उपज में वृद्धि पाई गई है। अन्य फलों में 25 से 50 प्रतिशत तक उपज में वृद्धि मिली है।

प्लास्टिक मल्चिंग के फायदे (Benefits of Plastic Mulching)

  • छोटे/सीमांत किसानों को 2 हेक्टेयर तक की भूमि पर प्लास्टिक मल्चिंग करवाने पर लागत की 25% सब्सिडी मिल सकती है।
  • अन्य किसानों को 2 हेक्टेयर तक की भूमि पर 50% सब्सिडी मिल सकती है।
  • प्लास्टिक मल्चिंग करने से खरपतवार को धूप नहीं मिलती है, उसे उगने का मौका नहीं मिलता।  
  • मिट्टी से पानी का वाष्पीकरण रूक जाता है। 
  • पौधों को पानी कम देना पड़ता है।
  • मिट्टी में ठंडक व नमी बनी रहती है। 
  • बीजों का जल्दी अंकुरण होता है। 
  • पौधों की जड़ों का विकास होता है।
  • पौधों को ठीक से पोषक तत्व मिलने से उसमें फल-फूल ज्यादा आते हैं।
  • आपका पौधा तेजी से विकास करता है।
  • खेती के रखरखाव का खर्च भी काफी कम हो जाता है। 

बागवानी खेती में प्लास्टिक मल्चिंग के फायदे

 बागवानी में प्लास्टिक मल्चिंग के उपयोग से खरपतवारों को उगने से रोका जा सकता है, इससे पानी की बचत होती है। मिट्टी का तापमान नियंत्रित होने के कारण पौधों के विकास के लिये अनुकूल वातावरण बनता है और जड़ों का बेहतर विकास होता है। जमीन को कठोर होने से बचाया जा सकता है। यही नहीं बीज का जल्द अंकुरण और उपज बढ़ाने में भी प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक की अहम भूमिका होती है।

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प्लास्टिक मल्चिंग/ पलवार की अनुमानित लागत

80 प्रतिशत क्षेत्र के आवरण के आधार पर सब्जी वाली फसलों में प्लास्टिक पलवार को बिछाने की अनुमानित लागत रु. 30000/- प्रति हेक्टेयर है। इसी प्रकार 40 प्रतिशत क्षेत्र के आवरण के आधार पर फल वाली फसलों में प्लास्टिक पलवार को बिछाने की अनुमानित लागत रु. 18000/- प्रति हेक्टेयर है। पलवार को लगाने का खर्च व पालीमर की कीमत बार-बार बदलने से प्लास्टिक पलवार की लागत में बदलाव आता है।

सब्जी वाली फसलों में प्लास्टिक मल्चिंग/ पलवार कैसे बिछाए?

  • सब्जी वाली फसलों में मुख्यत: 25-30 माईक्रोन वाली प्लास्टिक मल्च फिल्म का प्रयोग किया जाता है।
  • सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करके ऊंची उठी हुई क्यारियॉं बनाई जाती हैं।
  • फिर इन क्यारियों के ऊपर सिंचाई हेतु इनलाइन ड्रिप सिंचाई लैटरल पाईप को लगाया जाता है।
  • फिर उचित रंग के प्लास्टिक मल्च फिल्म को क्यारी के ऊपर बिछाया जाता है और दोनों किनारों पर दबा दिया जाता है।
  • लगाई जाने वाली लाईन से लाईन फसल के पौधे से पौधे की दूरी के अनुसार मल्च फिल्म पर निशान बनाकर जी.आई. पाईप की सहायता से छेद कर दिये जाते हैं।
  • अगर फिल्म पर कम दूरी पर छिद्र करने हों तो फिल्म बिछाने के पूर्व फिल्म की तह लगा कर उसमें एक साथ छेद किए जा सकते हैं।
  • प्लास्टिक मल्च को बिछाने के लिये श्रमिकों के साथ-साथ ट्रैक्टर चलित यंत्र का प्रयोग भी किया जा सकता है।
  • ये यंत्र ऊंची उठी हुई क्यारियों को बनाने के साथ-साथ ड्रिप लैटरल लगाने तथा मल्च फिल्म बिछाने का कार्य एक साथ करते हैं।
  • छेद करने वाले प्लांटर भी उपलब्ध हैं जिससे मल्च किये हुए क्षेत्र में छेद करने का कार्य हो जाता है।
  • इसके बाद बीज या पौध का रोपण इन छिद्रों में कर दिया जाता है।
  • फसल के लिए जो भी खाद, उर्वरक आदि चाहिये उसको पलवार बिछाने से पहले भूमि में अच्छी तरह से मिला दे।

फलदार फसलों में प्लास्टिक मल्चिंग/ पलवार कैसे बिछाए?

  • फल वाली फसलों में सामान्यत: 100 माईक्रोन मोटाई वाली प्लास्टिक मल्च फिल्म का प्रयोग किया जाता है।
  • फलदार वृक्षों में पलवार उपयोग पौधे के आच्छादन के अनुसार करना चाहिये।
  • लम्बाई एवं चौड़ाई को बराबर रखते हुए प्लास्टिक मल्चिंग (पलवार) को काटना चाहिये।
  • इन फसलों में मल्च फिल्म को मुख्यत: हाथों द्वारा ही पौधों के चारों तरफ बिछाया जाता है।
  • इसमें सामान्यत: फसलों के वितान क्षेत्र के विस्तार के कम से कम 50 प्रतिशत जड़ क्षेत्र में लगाने की अनुसंशा की जाती है।
  • सबसे पहले पौधे के चारों तरफ की जगह को खरपतवार तथा घासफूस इकट्ठा करके साफ किया जाता है।
  • फिर एक छोटी नाली पौधे के चारों तरफ बनाया जाता है जिससे कि मल्च फिल्म को लगाकर आसपास की मिट्टी से दबाया जा सके।
  • मल्च फिल्म के एक सिरे से चौड़ाई वाले भाग में बीच से आधी मल्च फिल्म को काटकर पेड़ के तने के पास लगाते हैं तथा कटी हुई फिल्म को 10-15 सेमी दूसरी सतह पर आच्छादित करके मिट्टी से ढक दिया जाता है।

प्लास्टिक मल्चिंग/पलवार की सबसे अच्छी फिल्म का चुनाव कैसे करें?

प्लास्टिक मल्च फिल्म का रंग काला, पारदर्शी, दूधिया, प्रतिबिम्बित, नीला, लाल आदि हो सकता है।

काली फिल्म –

काली फिल्म भूमि में नमी संरक्षण, खरपतवार से बचाने तथा भूमि का तापक्रम को नियंत्रित करने में सहायक होती है। बागवानी में अधिकतर काले रंग की प्लास्टिक मल्च फिल्म प्रयोग में लायी जाती है।

दूधिया या सिल्वर युक्त प्रतिबिम्बित फिल्म –

यह फिल्म भूमि में नमी संरक्षण, खरपतवार नियंत्रण के साथ-साथ भूमि का तापमान कम करती है।

पारदर्शी फिल्म

यह फिल्म अधिकतर भूमि के सोलेराइजेशन में प्रयोग की जाती है। ठंडे मौसम में खेती करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।

फिल्म की चौड़ाई –

प्लास्टिक मल्ंिचग के प्रयोग में आने वाली फिल्म का चुनाव करते समय उसकी चौड़ाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए जिससे यह कृषि कार्यों में भरपूर सहायक हो सके। सामान्यत:    90 से.मी. से लेकर 180 सें.मी तक की चौड़ाई वाली फिल्म ही प्रयोग में लायी जाती है।

फिल्म की मोटाई –

प्लास्टिक मल्चिंग में फिल्म की मोटाई फसल के प्रकार  व आयु के अनुसार होनी चाहिए।

प्लास्टिक मल्चिंग योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज(Documents)

  • आधार कार्ड / जनाधार कार्ड।
  • जमाबंदी की प्रतिलिपि (छह महीने से अधिक पुरानी नहीं)
  • अनुमोदित फर्म से कोटेशन।

Eligibility of Plastic Mulching Yojana

  • आवेदक किसान होना चाहिए।
  • आवेदक राजस्थान का मूल निवासी होना चाहिए।
  • आवेदक के पास कृषि भूमि का स्वामित्व और सिंचाई के साधन होने चाहिए।

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प्लास्टिक मल्चिंग योजना में ऑनलाइन आवेदन कैसे करें? | Application Process of Plastic Mulching Yojana

  • आवेदक को सबसे पहले एग्रीकल्चर विभाग की आधिकारिक पोर्टल पर जाना होगा। जिसका लिंक कुछ इस प्रकार है-https://rajkisan.rajasthan.gov.in/Rajkisanweb/Kisan
  • अभी विभाग के ऑफिशल पोर्टल के होम पेज पर “रजिस्टर” के विकल्प पर क्लिक करें।
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  • फिर आपको एसएसओ पंजीकरण पृष्ठ पर पुनः निर्देशित किया जाएगा। SSO होटल के रजिस्ट्रेशन पेज पर नागरिक के ऑप्शन का चयन करें
  • आगे की प्रक्रिया के लिए जन आधार या गूगल में से किसी एक विकल्प को चुनें।
    • जन आधार:– जन आधार नंबर दर्ज करें, ‘NEXT‘ बटन पर क्लिक करें, अपना नाम, परिवार के मुखिया और अन्य सभी सदस्यों का नाम चुनें और ‘ओटीपी भेजें’ बटन पर क्लिक करें। पंजीकरण पूरा करने के लिए ‘ओटीपी‘ दर्ज करें और ‘सत्यापित ओटीपी’ बटन पर क्लिक करें।
    • Google:- जीमेल आईडी दर्ज करें, ‘नेक्स्ट’ बटन पर क्लिक करें, पासवर्ड दर्ज करें। स्क्रीन पर एक नया लिंक दिखाई देगा, अब नए एसएसओ लिंक पर क्लिक करें। स्क्रीन पर एसएसओ आईडी दिखाई देगी, अब पासवर्ड बनाएं। मोबाइल नंबर दर्ज करें, तथा पंजीकरण पूर्ण करें के ऑप्शन पर क्लिक करें I
  • इस प्रक्रिया के पश्चात आवेदन फार्म को सबमिट करें तथा पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करें।

FAQs

प्लास्टिक मल्चिंग योजना का उद्देश्य क्या है?

इस योजना का उद्देश्य किसानों को सब्सिडी प्रदान करना, बागवानी फसलों में खरपतवार नियंत्रण, पानी का कुशल उपयोग और फसल उपज की गुणवत्ता में वृद्धि करना है।

प्लास्टिक मल्चिंग योजना के अंतर्गत राजस्थान के किसानों को कितनी सब्सिडी?

अधिकतम 2 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 50 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध है।

प्लास्टिक मल्चिंग योजना का लाभ किसे मिल सकता है?

किसानों को लाभ मिल सकता है I

प्लास्टिक मल्चिंग योजना का क्या कोई क्षेत्र मानदंड हैं?

हाँ, आवेदक के पास अधिकतम क्षेत्रफल 2 हेक्टेयर है।

प्लास्टिक मल्चिंग योजना के लिए आवेदक ऑनलाइन आवेदन कैसे कर सकता है?

ई-मित्र केंद्र पर जाकर आवेदन किया जा सकता है। https://sso.rajasthan.gov.in/signin

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